कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जंग में भारत को मिला एक और हथियार

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जंग में भारत को एक और हथियार मिल गया है। भारत में रूसी कोरोना वैक्सीन Sputnik V की पहली डोज लगा दी गई है। डॉ, रेड्डी लैब में कस्टम फार्मा सर्विसेज के ग्लोबल हेड दीपक सपरा ने हैदराबाद में वैक्सीन की पहली डोज लगवाई है। ड्रग फर्म डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज(Dr Reddy’s Lab) ने शुक्रवार को कहा कि एक सीमित पायलट के हिस्से के रूप में रूसी कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक वी की सॉफ्ट लॉन्चिंग शुरू हो गई है और वैक्सीन की पहली खुराक हैदराबाद में लगाई गई है।

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स्पुतनिक वी वैक्सीन के आयातित खुराकों की पहली खेप 1 मई को भारत में उतरी और 13 मई, 2021 को केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला, कसौली से इसे विनियामक मंजूरी मिली। कंपनी की ओर से कहा गया है कि आगामी महीनों में आयातित वैक्सीन डोज की अतिरिक्त खेप आने की उम्मीद है।

कंपनी की ओर से कहा गया है कि

रूस से आयात की गई कोरोना वायरस महामारी की वैक्सीन स्पुतनिक वी(Sputnik V) की कीमत वर्तमान में खुदरा बाजार में अधिकतम 948 रुपये है, जिसमें प्रति डोज 5 प्रतिशत जीएसटी भी शामिल है। हालांकि, भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन शुरू होने पर इसकी कीमत कम होने की संभावना है।

गौरतलब है कि अगले सप्ताह से भारत में रूस की बनी स्पूतनिक वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है। नीति आयोग के स्वास्थ्य समिति के सदस्य वीके पॉल ने बताया है कि स्पुतनिक वी वैक्सीन भारत पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है और उम्मीद है कि अगले सप्ताह से यह मार्केट में उपलब्ध होगी। रूस से जो सीमित सप्लाई आई है, वह अगले सप्ताह से बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। पॉल ने कहा कि इस वैक्सीन की और भी खेप आएगी। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि भारत में जुलाई से स्पुतनिक वैक्सीन का उत्पादन भी शुरू होने वाला है।

भारत में स्पुतनिक वी वैक्सीन के 15.6 करोड़ डोज तैयार

भारत में स्पुतनिक वी वैक्सीन के 15.6 करोड़ डोज तैयार किए जाएंगे। फिलहाल देश में अब तक करीब 18 करोड़ कोरोना वैक्सीन दी जा चुकी हैं। अमेरिका में सबसे ज्यादा 26 करोड़ टीके लगे हैं। भारत कोरोना टीकों के मामले में तीसरे नंबर पर है। पॉल ने कहा कि हमें खुशी है कि देश में 45 साल से अधिक आयु के एक तिहाई लोगों को कोरोना से सुरक्षा कवच दिया जा चुका है। 45 साल या उससे अधिक आयु के ही 88 फीसदी लोगों की कोरोना के चलते मौतें हुई हैं। ऐसे में इस आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण जरूरी था और इस पर ही पहले फोकस किया गया है।

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