Farmers Protest Today: नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान संगठनों का आंदोलन 16वें दिन में पहुंच गया है। गतिरोध दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने फिर से बातचीत की पेशकश की जिसे किसानों ने ठुकरा दिया। किसान सरकार की तरफ से किसी ‘सकरात्मक प्रस्ताव’ की उम्मीद कर रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार जब तक तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी, तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा। वहीं, भारतीय किसान यूनियन ने तीनों कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस बीच, केंद्र सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार बातचीत के जरिए गतिरोध दूर करने को तैयार है। उन्होंने किसान यूनियनों से आंदोलन का रास्ता छोड़ बातचीत की मेज पर आने की अपील की।
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तोमर ने फिर दिया किसानों को बातचीत का न्योता
हमारा प्रस्ताव उनके (किसानों) पास है, उन्होंने इसपर चर्चा की लेकिन हमें अबतक उनका जवाब नहीं मिला है। मीडिया से पता चला कि प्रस्ताव खारिज कर दिया है। हमें अभी तक उनसे बातचीत का प्रस्ताव नहीं मिला है। उनका प्रस्ताव आते ही हम बातचीत के लिए तैयार हैं। मुझे लगता है कि हल निकल आएगा। मैं किसान यूनियनों से आग्रह करता हूं कि वे गतिरोध खत्म करें। सरकार ने उन्हें एक प्रस्ताव भेजा है। अगर किसी प्रावधान पर आपत्ति थी तो उसपर चर्चा हुई। हमारे प्रस्ताव में, हमने उनकी आपत्तियों के हल सुझाने की कोशिश की है। उन्हें आंदोलन छोड़कर बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए। सरकार बातचीत को तैयार है।
कानून में बदलाव करने को राजी है सरकार
केंद्र की तरफ से कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसान संगठनों से बातचीत के बाद, कानून में जरूरी संशोधन को तैयार है। तोमर ने कहा, “सरकार ने काफी विचार करने के बाद कानून बनाए हैं ताकि किसानों के जीवन में बदलाव आ सके, सालों से जो उनके साथ अन्याय हो रहा था उसे दूर किया जा सके। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि किसानों की जिंदगी बेहतर हो और वे फायदे वाली खेती कर सकें। हम मानते हैं कि हम ओवररूल करने वाली ताकत नहीं हैं और यूनियनों के मन में भी कुछ होगा। इसलिए सरकार बातचीत के बाद कानूनों में सुधार को तैयार है।”
तोमर ने कहा कि सरकार बातचीत के बाद ‘कानून में सुधार’ करने के लिए तैयार है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर तोमर ने कहा, “प्रधानमंत्री ने दोनों सदनों में इसपर आश्वासन दिया है। अगर संसद में ऐसा कहा जा रहा है तो यह एक दस्तावेज है। यह सरकार की नीयत को दर्शाता है। उससे शक्तिशाली दस्तावेज कोई हो नहीं सकता। एमएसपी जारी रहेगा, इसमें किसी को शक नहीं रहना चाहिए।”
अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं किसान नेता
किसान संगठनों के नेताओं ने सरकार की ओर से दोबारा बातचीत शुरू करने की पेशकश ठुकरा दी है। ऑल इंडिया किसान सभा के पंजाब में जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनावाल ने शुक्रवार को आईएएनएस से कहा कि सरकार जब तक तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी, तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा। मेजर सिंह पुनावाल ने कहा, ”हमारा अगला कार्यक्रम 12 दिसंबर से पहले जयपुर-दिल्ली एक्सप्रेसवे को जाम करना है और 14 दिसंबर को देशभर में जिला स्तर पर डीसी के दफ्तरों के सामने मोर्चे निकाल कर धरना-प्रदर्शन करना है। बीजेपी के दफ्तरों के आगे भी धरना दिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि पंजाब की तरह देशभर में टोल फ्री किया जाएगा और रिलायंस के पेट्रोल पंप को बंद किया जाएगा। भारतीय किसान यूनियन के गुरविंदर सिंह ने भी कहा कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होंगे किसानों का यह आंदोलन चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि आगे आंदोलन और तेज करने की तैयारी जोरों पर चल रही है।
कृषि कानूनों के विरोध का काउंटर करेगी भाजपा
मोदी सरकार की ओर से लाए गए तीनों कृषि कानूनों के भारी विरोध के बीच अब भारतीय जनता पार्टी ने बड़े पैमाने पर जनजागरण अभियान चलाने की तैयारी की है। देश में सात सौ से अधिक स्थानों पर प्रेस कांफ्रेंस और किसान चौपाल के जरिए किसानों के लिए बने कानूनों पर फैलाई गई भ्रांतियों को तथ्यों के जरिए पार्टी नेता दूर करेंगे। भाजपा प्रदेश से लेकर जिला और मंडल स्तरों पर भी आयोजन कर किसान कानूनों के सभी प्रावधानों के बारे में जनता को बताएगी। किसान कानूनों को लेकर आम किसानों के मन में उपजी शंकाओं का समाधान करने की दिशा में यह कवायद करने की तैयारी है। चौपालों का आयोजन तत्काल प्रभाव से शुरू होगा।