किसानों को उनके उत्पाद की मिलेगी बेहतर कीमत

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाएंगे। यह ट्रेन महाराष्ट्र के सांगोला से बंगाल के शालीमार के बीच चलेगी। पहली किसान रेल का संचालन सात अगस्त को महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर के लिए किया गया था। इसका उद्देश्य फलों व सब्जियों समेत जल्द खराब होने वाले उत्पादों को बाजार तक पहुंचाकर कर किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ आम लोगों को ताजी सब्जियां, फलों व अन्य उत्पादों को किफायती कीमत में उपलब्ध करना है।

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परिवहन शुल्क में 50 फीसद की सब्सिडी

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रलय की तरफ से अधिसूचित सब्जियों व फलों के परिवहन शुल्क में 50 फीसद की सब्सिडी दी जा रही है। सब्सिडी की व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी है, जिससे इसका लाभ पात्र किसानों को ही मिल रहा है।

2020 के रेल बजट में हुआ था एलान

किसानों की उपज को देश की बड़ी मंडियों तक जल्द से जल्द पहुंचाकर उन्हें अच्छी कीमत दिलाने के लिए सरकार ने वर्ष 2020 के रेल बजट में किसान रेल चलाने की घोषणा की थी। फिलहाल नौ रूटों पर किसान रेल का संचालन किया जा रहा है। इनके जरिये करीब 27,000 टन कृषि उत्पादों का परिवहन किया जा चुका है। रेलवे सुरक्षा बल की निगरानी में चलने वाले इन विशेष ट्रेनों में 10 पार्सल वैन और एक लगेज ब्रेक वैन शामिल होते हैं।

पांच राज्यों से गुजरेगी 100वीं किसान रेल

यह ट्रेन 400 टन फल व सब्जियां लेकर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व ओडिशा होती हुई बंगाल के शालीमार स्टेशन पर पहुंचेगी। 2,132 किलोमीटर की यात्र 39 घंटों में पूरी होगी। वास्तव में किसान रेल का फायदा छोटे और सीमांत किसानों को ज्यादा होगा, क्योंकि वे अपने उत्पाद को सीधे देश की बड़ी मंडियों में भेज सकेंगे। वहां उन्हें अधिक कीमत मिलेगी।

कोरोना काल की बड़ी पहल

सात अगस्त, 2020 को जब पहली किसान रेल का संचालन देवलाली से बिहार के दानापुर के लिए किया गया, तब देश में कोरोना संक्रमण काफी तेजी से पांव पसार रहा था। हालांकि, इससे पहले लॉकडाउन के दौरान जब यात्री ट्रेनों का संचालन पूरी तरह ठप था तब रेलवे ने खाद्य उत्पादों की आपूर्ति के लिए 96 रूटों पर 4,610 ट्रेनों का संचालन किया था। इनके जरिये अनाज से लेकर फलों व सब्जियों की आपूर्ति को संतुलित रखा गया। किसान रेल के संचालन से जहां किसानों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, वहीं उत्पादों की मांग के अनुरूप आपूर्ति सुनिश्चित कराकर पूरी श्रृंखला को मजबूत करने का प्रयास भी हो रहा है।

पहली किसान रेल देवलाली से चलकर नासिक, मनमाड, जलगांव, भुसावल, बुरहानपुर, खंडवा, इटारसी, जबलपुर, सतना, कटनी, मानिकपुर, प्रयागराज, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन और बक्सर से होती हुई दानपुर पहुंचती थी। बाद में इसका विस्तार मुजफ्फरपुर तक कर दिया गया। मांग को देखते हुए इस साप्ताहिक ट्रेन का संचालन फिलहाल हफ्ते में तीन दिन होता है। किसान रेल में किसी भी मात्र में और रूट के किसी भी स्टेशन पर कृषि उत्पाद की लोडिंग-अनलोडिंग की जा सकती है।

इन उत्पादों पर मिलती है सब्सिडी

फिलहाल आम, अमरूद, कीवी, लीची, पपीता, अनानास व अनार आदि फलों तथा कटहल, फ्रेंच बींस, बैंगन, शिमला मिर्च, करेला, गाजर, हरी मिर्च, फूल गोभी, पत्ता गोभी, प्याज, टमाटर व आलू आदि सब्जियों के परिवहन शुल्क में 50 फीसद सब्सिडी दी जा रही है।

छोटे स्टेशनों की बदली किस्मत

महाराष्ट्र स्थित सांगोला एक छोटा रेलवे स्टेशन है, लेकिन यहां तीन किसान रेलों में लोडिंग होती है। अगस्त में किसान रेल की शुरुआत के बाद से इस स्टेशन से करीब 8,325 टन फलों की लोडिंग हो चुकी है। सांगोला-मुजफ्फरपुर किसान रेल मार्ग के अन्य स्टेशनों बेलवंडी से 175 टन, कोपरागांव से 336 टन व बेलापुर से 165 टन फलों की लोडिंग हुई है। मध्य रेलवे के सोलापुर डिवीजन के जेरू स्टेशन पर पहले लोडिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं थी, लेकिन बेंगलुरु-आदर्श नगर किसान रेल की शुरुआत के बाद से यहां से 578 टन फलों की लोडिंग हो चुकी है।

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