नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन (Farmer Protest) कर रहे किसानों और सरकार के बीच सातवें दौर की वार्ता शुरू हो गई है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल विज्ञान भवन में किसान संगठनों के साथ बातचीत कर रहे हैं। बैठक से पहले कृषि मंत्री ने कहा है कि आज की बैठक में जो विषय बचे हुए हैं उन पर चर्चा होगी। मुझे आशा है कि सभी सकारात्मक हल निकालने में मदद करेंगे और हम सफल भी होंगे। बता दें कि सरकार लगातार इस बात को कह रही है कि एमएसपी और मंडी प्रणाली बनी रहेगी।
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संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को लगातार निरस्त
अब तक केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है। किसान संगठन सितंबर में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को लगातार निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। सरकार का कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे। दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी।
Farmer Protest latest updates:
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के साथ अपने आवास से रवाना हुए। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, ‘आज की बैठक में जो विषय बचे हुए हैं उन पर चर्चा होगी। मुझे आशा है कि सभी सकारात्मक हल निकालने में मदद करेंगे और हम सफल भी होंगे।’
अब तक 60 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं
सरकार और किसानों के बीच सातवें दौर की वार्ता से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि उम्मीद है कि सरकार बात मान ले, अगर मांगें पूरी नहीं होती तो आंदोलन चलेगा। उन्होंने कहा कि कानून वापस हों, एमएसपी पर कानून बने, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू हो। हमें बिन्दुवार वार्ता करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। विरोध के दौरान अब तक 60 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। हर 16 घंटे में एक किसान मर रहा है। इसका जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी है।
30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच चार मुद्दों में से दो पर सहमति बन गई थी। दोनों पक्षों में प्रस्तावित बिजली कानून, पराली जलाने से संबंधित मुद्दों पर सहमति बनी। हालांकि, गतिरोध दो मुख्य मांगों पर अभी भी जारी है। वहीं, 2 जनवरी को लगभग 40 किसान संगठनों ने धमकी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो किसान अपने ट्रैक्टर, ट्रॉलियों और अन्य वाहनों के साथ 26 जनवरी को दिल्ली में मार्च करेंगे।
दूसरी तरफ आंदोलन के दौरान सोनीपत के सिंघु और बहादुरगढ़ (झज्जर) के टीकरी बार्डर पर रविवार को चार किसानों की जान चली गई। दोनों धरनास्थल पर दो-दो किसानों की जान गई है। इनमें से दो हरियाणा और दो पंजाब के निवासी थे। सिंघु बार्डर पर जिन दो किसानों की जान गई है, उनमें से एक सोनीपत के गांव गंगाना का 52 वर्षीय कुलबीर था और दूसरा पंजाब के संगरूर के गांव लिद्दड़ान का रहना वाला 45 वर्षीय शमशेर था। इन दोनों की मौत का कारण भी सर्दी से हार्ट अटैक बताया जा रहा है।
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