ओवैसी बोले-बीजेपी की आंधी नहीं, हमारा तूफान

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हैदराबाद: असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) के चुनाव में किंगमेकर बनकर उभरे हैं। उनकी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने 44 सीटों पर जीत के पिछले प्रदर्शन को बरकरार रखा है। इस चुनाव में ओवैसी ने अपनी पार्टी के टिकट पर पांच हिंदू प्रत्याशियों को भी मैदान में उतारा था।

चुनाव में 48 सीटें जीतीं

हैदराबाद सीट से सांसद ओवैसी ने कुल 51 सीटों पर प्रत्याशियों को उतारा था। इनमें उन्होंने 10 फीसदी आरक्षण हिंदू कैंडिडेट्स को देते हुए 5 सीटों पर टिकट दिया था। इन 5 में से 3 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है, जबकि दो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। पिछले चुनाव में महज चार सीटें जीतने वाली बीजेपी ने जबर्दस्त प्रचार की बदौलत इस चुनाव में 48 सीटें जीतीं हैं।

3 जीते और 2 हारे

ओवैसी की पार्टी AIMIM के टिकट पर पुरानापुल वार्ड से सुन्नम राज मोहन, फलकनुमा वार्ड से के. थारा भाई और कारवन वार्ड से मांदागिरी स्वामी यादव ने जीत दर्ज की है। वहीं जामबाग वार्ड से जदाला रविंद्र को बीजेपी के राकेश जायसवाल के हाथों हार का सामना करना पड़ा। कुतुबुल्लापुर वार्ड से ई. राजेश गौड़ को टीआरएस के गौरिश पारिजाता ने हरा दिया।

यह चुनाव भले ही नगर निगम का हो, लेकिन जिस आक्रमकता से बीजेपी यहां चुनाव लड़ी है, उससे पूरे देश की निगाहें इस पर जमी हैं। देश के किसी भी नगर निगम चुनाव को बीजेपी ने पहली बार इतनी आक्रमकता से लड़ा। चुनाव प्रचार के लिए पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को छोड़ अपनी पूरी फौज उतार दी। चुनाव प्रचार के लिए बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृह मंत्री अमित शाह हैदराबाद पहुंचे। इसके अलावा पार्टी ने स्मृति इरानी, प्रकाश जावड़ेकर, तेजस्वी सूर्या, देवेंद्र फडनवीस सरीखे नेताओं को भी चुनाव प्रचार में उतारा।

24 विधानसभा सीटें और 5 लोकसभा सीटें

बीजेपी इस चुनाव को तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव से सेमीफाइनल के तौर पर भी देख रही है। हालांकि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में अभी काफी समय है। लेकिन उससे पहले बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत करने के इरादे के साथ जुट गई है। ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम देश के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है। इस नगर निगम में हैदराबाद, रंगारेड्डी, मेडचल-मल्काजगिरि और संगारेड्डी समेत 4 जिले आते हैं। इस नगर निगम के अंदर 24 विधानसभा सीटें और 5 लोकसभा सीटें आती हैं।

दक्षिण भारत अभी भी बीजेपी के लिए मुश्किल चुनौती सरीखा बना हुआ है। एक कर्नाटक को छोड़ दें तो आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल में बीजेपी का प्रभाव अधिक नहीं है। अपने दम पर बीजेपी खास प्रभाव नहीं छोड़ सकी है। चुनावों में अन्य दलों के साथ गठबंधन करके ही बीजेपी कुछ सीटों पर जीत दर्ज कर पाती है। इसलिए GHMC के चुनाव में परचम लहराकर दक्षिण भारत के अभियान को मजबूत करना चाहती है।

बीजेपी ने तेलंगाना में अपनी स्थिति बेहतर

पिछले दो साल में बीजेपी ने तेलंगाना में अपनी स्थिति बेहतर की है। 2018 के विधानसभा चुनाव में महज एक सीट पाने वाली बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में चार सीटों पर कब्जा जमा लिया। इसके साथ ही कई सीटों पर पहले से बेहतर स्थिति रही। TRS पर भ्रष्टाचार और वंशवाद के आरोपों के साथ ही ओवैसी की AIMIM की स्थिति भी हैदराबाद से बाहर मजबूत नहीं है। ऐसे में बीजेपी सही मौके का फायदा उठाते हुए जड़ें जमाना चाहती है।

हैदराबाद नगर निगम में कुल वार्ड 150 हैं। सत्तारूढ़ टीआरएस सभी 150 वार्ड पर चुनाव लड़ रही है। बीजेपी 149 वार्ड, कांग्रेस 146 वार्ड पर, टीडीपी 106 वार्ड पर, एमआईएम 51 पर, सीपीआई 17 पर, सीपीएम 12 पर और दूसरे दल 76 वार्ड पर चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले 2016 में हुए पिछले चुनाव में सत्तारूढ़ दल टीआरएस के 99 और ओवैसी की एआईएमआईएम के 44 सीटों पर, जबकि बीजेपी को महज 5 सीटों पर ही जीत मिली थी। वहीं कांग्रेस ने सिर्फ 2 वार्ड जीते थे।

किसको कितनी सीटें

हैदराबाद निगम चुनाव में सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) 99 सीटों से खिसककर 55 सीटों पर सिमट गई है। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम 44 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही जबकि बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। इन सबके इतर कांग्रेस को महज दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है।

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