पटना। केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में बिहार की भागीदारी बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है। चर्चाएं हैं कि मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में जदयू और लोजपा को भी जगह मिलेगी। इसमें कई बातें खास हैं। 2019 में मोदी के दूसरी बार सरकार बनाने पर बिहार से लोजपा केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुई थी, जबकि जदयू ने भाजपा से मिला आफर ठुकरा दिया था। केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन के बाद लोजपा भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर हो गई। इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट शुरू होते ही बिहार से जदयू, लोजपा के अलावा भाजपा के भी नाम मंत्री पद के लिए चर्चा में हैं।
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जदयू में आरसीपी के लिए संभावना सबसे अधिक
केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में सबसे अधिक संभावना जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को लेकर जताई जा रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि उन्हें इसके लिए बुलावा मिल गया है और वे दिल्ली रवाना भी हो गए हैं। जदयू से ललन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा के नाम भी चर्चा में हैं, लेकिन इन चर्चाओं में कितना दम है, यह बताने को कोई तैयार नहीं है।
लोजपा से पारस का नाम चौंका सकता है
लोजपा सांसद चिराग पासवान भले प्रधानमंत्री का हनुमान होने का दावा करते हैं, लेकिन चर्चाएं हैं कि उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से बेदखल करने वाले चाचा पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। उन्हें इसके लिए अमित शाह का फोन भी आ चुका है। पारस ने सोमवार को कहा था कि लोजपा में कोई टूट नहीं है। चिराग सहित सभी छह सांसदों के नेता वही हैं और इसे लोकसभा अध्यक्ष ने भी मंजूरी दी है।
भाजपा से सुशील मोदी के लिए भी कयास
भाजपा सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के लिए भी मंत्रिमंडल में जगह मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे कयास तब से हैं, जब उन्हें बिहार सरकार में मंत्री बनने का मौका नहीं मिला और उन्हें बाद में राज्यसभा भेजा गया।
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