वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, 20.18 फीसद की वृद्धि के साथ मई में निर्यात 28.86 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। वृद्धि दर के मामले में यह छह महीने का सर्वोच्च स्तर है। नवंबर, 2017 में निर्यात में 30.55 फीसद की दर से वृद्धि हुई थी। हालांकि इस बीच व्यापार घाटा भी चार महीने के ऊंचे स्तर 14.62 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
बीते महीने पेट्रोलियम उत्पादों, रसायनों, फार्मा और इंजीनियरिंग क्षेत्र में निर्यात में तेजी देखी गई। दूसरी ओर, काजू, लौह अयस्क, टेक्सटाइल, रत्न एवं आभूषण और हस्तशिल्प के निर्यात में कमी आई। मई में आयात 14.85 फीसद बढ़कर 43.48 अरब डॉलर रहा। सोने का आयात 29.85 फीसद घटकर 3.48 अरब डॉलर रहा। एक साल पहले इसी अवधि में सोने का आयात 4.96 अरब डॉलर रहा।
चालू वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीनों (अप्रैल-मई) में निर्यात 12.58 फीसद बढ़कर 54.77 अरब डॉलर रहा। इसी अवधि में आयात 9.72 फीसद बढ़कर 83.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इन दो महीनों में व्यापार घाटा 28.34 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले इसी अवधि में 27.09 अरब डॉलर रहा था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया कि वित्त वर्ष 2017-18 में वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 12.78 फीसद बढ़ा, जो पिछले छह-सात साल में सबसे ज्यादा है। प्रभु ने कहा, ‘बीते वित्त वर्ष में तमाम चुनौतियों के बावजूद निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। फिलहाल जीएसटी रिफंड से जुड़े मुद्दे लगभग सुलझा लिए गए हैं।
बैंक फाइनेंस सेक्टर के सामने बड़ी चुनौती
चालू वित्त वर्ष पिछले से बेहतर रहने की उम्मीद है।’ मंत्री ने कहा कि जीएसटी रिफंड के भुगतान से निर्यातकों को वर्किंग कैपिटल के मोर्चे पर मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि निर्यात बढ़ाने के लिए वाणिज्य मंत्रालय सभी संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है। रत्न एवं आभूषण सेक्टर के समक्ष आ रही क्रेडिट की समस्या पर प्रभु ने कहा, ‘बैंक फाइनेंस इस सेक्टर के सामने बड़ी चुनौती है। हमने वित्त मंत्रालय के समक्ष यह मुद्दा उठाया है। हमने कहा है कि निर्यात सेक्टरों को कर्ज में प्राथमिकता दी जाए।’