देहरादून: Joshimath Crisis सचिव आपदा प्रबन्धन डा0 रंजीत कुमार सिन्हा ने बुधवार को जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव एवं भूस्खलन के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे राहत एवं बचाव, स्थायी/अस्थायी पुनर्वास आदि से सम्बन्धित किये जा रहे कार्यो की मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जोशीमठ में प्रारम्भ में निकलने वाले पानी का डिस्चार्ज जो कि 6 जनवरी 2023 को 540 एल.पी.एम. था, वर्तमान में घटकर 100 एल.पी.एम. हो गया है। यह एक राहत की खबर है। सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि मुख्य सचिव उत्तराखण्ड ने जोशीमठ में कार्यरत विभिन्न तकनीकी संस्थानों के निदेशकों तथा वैज्ञानिकों से आग्रह किया है कि प्रभावित क्षेत्र का तत्काल अध्ययन करते हुए अध्ययन रिपोर्ट जल्द से जल्द उपलब्ध करायी जाय। जोशीमठ में भू-धसांव का अध्ययन समयबद्ध तरीके से हो। विभिन्न तकनीकी संस्थान अपनी अध्ययन रिपोर्टे एक दूसरे से सांझा भी करें। अध्ययन रिपोर्टो में स्पष्टता के साथ ही समाधान की भी चर्चा की जाय।
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में जोशीमठ में (Joshimath Crisis) कुल 615 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2190 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। अभी तक 849 भवनों में दरारें दृष्टिगत हुई है। सर्वेक्षण का कार्य गतिमान है। उन्होंने जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 क्षेत्र / वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 258 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये हैं। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 865 है।
प्रेस वार्ता में अपर सचिव आपदा प्रबन्धन, निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण संस्थान, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच तथा निदेशक आईआईटीआर उपस्थित थे।