भारतीयों में कोरोना के 50-75 प्रतिशत ज्यादा खतरा

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लंदन। ब्रिटेन में हुए एक शोध में यह बताया गया है कि भारतीयों में कोरोना वायरस से मौत का सबसे ज्यादा खतरा है। यह शोध इंग्लैंड एंड वेल्स में रहने वाले भारतीय लोगों पर किया गया है। जिसमें भारतीयों में कोरोना के 50-75 प्रतिशत ज्यादा खतरा बताया गया है। लंदन में जारी एक नवीनतम सांख्यिकीय विश्लेषण के अनुसार, इंग्लैंड और वेल्स(England & Wales) में रहने वाले भारतीय पुरुषों और महिलाओं में कोरोना से मौत का खतरा लंदन में रह रहे ब्रिटिश पुरुषों और महिलाओं की तुलना में 50 से 75 प्रतिशत अधिक है।

ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (ONS) जिसने इस साल की शुरुआत में कोरोना वायरस के प्रभाव के संबंध में एक समान जातीय भिन्नता का निष्कर्ष निकाला। उसने इस सप्ताह अपने आंकड़ों को अद्यतन किया और यह भी पाया कि असमानता के पीछे के कारक जीवित व्यवस्था और प्रकृति से अधिक जुड़े हुए थे।

लंदन के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (ONS) की इस रिपोर्ट के मुताबिक, 28 जुलाई तक हुई मौतों के आंकड़ों को देखा जाए तो अश्वेत और साउथ एशियन लोगों में कोरोना से मौत का खतरा श्वेत लोगों से ज्यादा है। इससे पहले 15 मई तक हुई मौतों में भी ONS ने ऐसे ही आंकड़े मिलने का दावा किया था। ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (ONS) की इस रिपोर्ट के निष्कर्षों से इस बात का पता चलता है कि कोरोना वायरस से हुई मौतों का नस्लीय अंतर डेमोग्राफिक, सामाजिक और आर्थिक कारकों के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है।

इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि सभी लोगों में कोरोना वायरस से मौत का खतरा महिलाओं में पुरुषों से ज्यादा है। चीनी लोगों को छोड़ दें तो श्वेत लोगों में बाकी समुदाय के लोगों से मौत का खतरा कम बताया गया है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना से मौत इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप कहां रहते हैं या आप किस पेशे (प्रोफेशन) में है। ये रिपोर्ट सरकार समर्थित पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) के निष्कर्षों को ही दोबारा बताती है, जिसमें वायरस के जानलेवा प्रभाव को लेकर बात की गई थी

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