Kota Infant Deaths: राजस्थान के कोटा शहर में एक अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा सौ की संख्या को पार कर जाना बहुत दुखद है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह रहे हैं कि उनकी पूरी सरकार और प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है कि कोटा में नवजात शिशुओं की मौत न हो। इधर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन कह रहे हैं कि कोटा में शिशुओं की मौत रोकने के लिए राजस्थान सरकार जो भी मांगेगी, हम सब कुछ देंगे। इन दोनों ही बयानों को ध्यान से देखिये तो दो बातें उभर कर सामने आती हैं, एक तो यह कि जैसे कोटा में यह कोई अचानक महामारी आई है और तमाम मुस्तैदी व ईमानदार प्रयासों के बाद भी राज्य सरकार नवजात शिशुओं की धड़ाधड़ हो रही मौत पर लगाम नहीं लगा पा रही।
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इसी संदर्भ में दूसरा वक्तव्य केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का है जिससे यह लगता है जैसे केंद्र सरकार हर तरीके से राजस्थान सरकार के साथ इन मौतों को तुरंत रोकने के लिए तैयार है, लेकिन पता नहीं क्यों राजस्थान सरकार केंद्र के साथ उस तरीके से सहयोग नहीं कर रही जैसा फिलहाल किया जाना चाहिए। अभी तक जितनी भी मौतों के बारे में मीडिया में खबरे आई हैं, उनसे साफ पता चलता है कि ज्यादातर मौतें मांओं के खून में कमी और नवजातों के वजन में बेहद कमी के कारण हुई है। जाहिर है यह किसी महामारी का नहीं, बल्कि गरीबी और कुपोषण का नतीजा है। साथ ही यह भारतीय समाज में पितृत्व को लेकर बेहद लापरवाही और जिम्मेदारी न समझने के कारण हुई हैं।
गरीबी और कुपोषण का नतीजा
देखा जाए तो इन बयानों के माध्यम से सियासत की जा रही है। कोटा में नवजात शिशुओं की मौत पहली बार नहीं हो रही और अचानक नहीं हो रही। फिलहाल इन मौतों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार राज्य सरकार को ही माना जा सकता है। लेकिन केंद्र सरकार भी इस मामले पर अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकती है। जबकि हर कोई अपनी जिम्मेदारियां किसी और पर डालने की कोशिश कर रहा है।
मौतों पर की जा रही सियासत
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री कह रहे हैं कि अब तक वे कई शिशु रोग विशेषज्ञों की टीम कोटा भेज चुके हैं और जोधपुर एम्स भी इस पर पूरी तरह से नजर रखे हुए है। हालांकि राज्य सरकार यह बात पिछले एक महीने से आंकड़ों के साथ कह रही है कि कोटा में नवजातों की मौत हो रही है। साथ ही यह सिलसिला अभी तक जारी है। इन मौतों का हंगामा भी बहुत कुछ छिपाता है। सबसे पहली बात तो यह कि क्या नवजात शिशुओं की मौतें सिर्फ कोटा में हो रही हैं? क्या कोटा के अलावा पूरे राजस्थान में इस समय और कहीं नवजातों की मौत नहीं हो रही? निश्चित तौर पर हो रही हैं, हो सकता है कि कोटा के मुकाबले कुछ कम हो रही हों। लेकिन कोटा में ही पूरे हंगामे को फोकस करके राज्य और केंद्र दोनों ही सरकारें लापरवाही और अव्यवस्था की बड़ी तस्वीर को छिपाने की कोशिश कर रही हैं। सिर्फ छिपा ही नहीं रही, बल्कि अपने अपने स्तर पर इन मौतों पर भी सियासत की जा रही है।