अयोध्या: अयोध्या के राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के समक्ष बुधवार को भी जारी रही। 6 अगस्त से शुरू हुई सुनवाई के नौवें दिन आज रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील एसएन वैद्यनाथन ने फिर से बहस शुरू की।विवादित जमीन पर रामलला का दावा बताते हुए उन्होंने कई दलील पेश की।
ज़रूर पढ़ें : पी चिदंबरम के समर्थन में उतरा गांधी परिवार , राहुल ने कही ये बात….
भगवान रामलला नाबालिग…
वैद्यनाथन ने कहा, ‘ अगर वहां पर कोई मंदिर नहीं था, कोई देवता नहीं है तो भी लोगों की जन्मभूमि के प्रति आस्था काफी है। वहां पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है। उन्होंने आगे कहा,”अयोध्या के भगवान रामलला नाबालिग हैं। नाबालिग की संपत्ति को न तो बेचा जा सकता है और न ही छीना जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर जन्म स्थान देवता है, अगर संपत्ति खुद में एक देवता है तो भूमि के मालिकाना हक का दावा कोई और नहीं कर सकता। कोई भी बाबरी मस्जिद के आधार पर उक्त संपत्ति पर अपने कब्जे का दावा नहीं कर सकता।
1982 में एक डकैती हुई थी, जिसमें सारे रेकॉर्ड गुम हो गए…
वैद्यनाथन ने विदेशी यात्रियों की किताबों का जिक्र करते हुए कहा था कि अयोध्या में एक किला या महल था। हिंदुओं का विश्वास है कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था। पिछली सुनवाइयों पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े से पूछा था कि क्या आपके पास कुर्की से पहले का राम जन्मस्थान के कब्जे का मौखिक या रेवेन्यू रिकॉर्ड है। निर्मोही अखाड़ा की ओर से जवाब में बताया गया कि 1982 में एक डकैती हुई थी, जिसमें सारे रेकॉर्ड गुम हो गए थे। पूर्व की सुनवाई के दौरान आरएसएस के पूर्व थिंकटैंक केएन गोविंदाचार्य ने अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग की मांग की थी जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था।