देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर से गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने के मुद्दे ने तूल पकड़ ली है। राज्य आंदोलनकारियों ने गैरसैंण को स्थायी राजधानी के लिए धरना प्रदर्शन किया। जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने सभी आंदलोनकारियों को जेल भेज दिया है। जिससे स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। शुक्रवार को उत्तराखंड की पूर्व मुख्यमंत्री भी राज्य आंदोलनकारियों के समर्थन में आए। इस दौरान उन्होंने आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी के विरोध में यहां सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ सांकेतिक गिरफ्तारी दी।पूर्व सीएम ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि गैरसैंण स्थायी राजधानी के लिए संघर्षरत आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमों को तुरंत वापस लेने और उनकी बिना शर्त रिहाई की मांग की।
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साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि गैरसैंण पहाड़ी की आत्मा है, राज्य की जनता की भावनाओं के साथ किसी भी दशा में खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।
रामलीली मैदान में हुई सभा में पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने गैरसैंण के विकास के लिए रोडमैप तैयार कर वहां के आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक विकास की नींव रखी थी, लेकिन आज भाजपा ने गैरसैंण को हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया है। भराड़ीसैंण में सचिवालय बनाने के लिए उनकी सरकार ने 45 करोड़ की जो राशि स्वीकृत की थी, वह आज पीएलए में पड़ी है। सरकार सचिवालय गैरसैंण में नहीं बल्कि देहरादून में बनाना चाहती है।